६९२ ॥ श्री हनुमान जी की बन्दना ॥
पद:-
बन्दौं श्री पवन पूत राम दूत बांको।
बज्र अंग गदा संग नाम रंग छाको।
महाबीर समर धीर भव की पीर हांको।
भजिये तजि कपट ख्याल पल में कर दें निहाल,
भागै लखि मृत्यु काल बिधि की लेख आंको।
सन्मुख श्री सीता राम निरखौ तब अष्टयाम,
जारी धुनि बीज नाम ऐसो पितु माँ को।५।
सुर मुनि नित मिलैं आय बिहँसैं उर लें लगाय।
शिर पर कर दें फिराय बोलौ किमि ताको।
बाजा घट बजै खास सुनि सुनि मन हो हुलास,
अमृत से बुझै प्यास प्रेम भाव पाको।
सुनिये नर नारी बैन सुमिरन में रहौ पैन,
तन तजि निज धाम शयन छूटै जग चाको।९।