६९१ ॥ श्री मंजारी माई जी ॥
कीर्तन:-
गुरदेव हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
सिया राम हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
प्रिय श्याम हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
श्री बिष्णु हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
उमा शम्भु हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।५।
बक्र तुण्ड हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं॥
स्वामि कार्तिक हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
श्री भैरव हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
बीर भद्र हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
बजरंग हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।१०।
श्री काली हमारी रक्षक हैं जो सारे दुख की भक्षक हैं।
श्री दुर्गा हमारी रक्षक हैं जो सारे दुख की भक्षक हैं।
सब औतार हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
श्री शेष हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
श्री चक्र हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।१५।
सब सुर मुनि हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
सब शक्ति हमारी रक्षक हैं जो सारे दुख की भक्षक हैं।
सब भक्त हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
बलिराम हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।
श्री गरुड़ हमारे रक्षक हैं जो सारे दुख के भक्षक हैं।२०।