७२३ ॥ श्री रसीले शाह जी ॥
पद:-
मुरशिद करि खोलो घट पल्ला, तन हज में हज करो मुल्ला।
अस्सी पैगम्बर संघ अल्ला जहं शान्ति महान न कुछ हल्ला।
सत्तर काबा जहं बने हुये सब ध्यान में मेरे गने हुये।
है नूर क जहं पर चमत्कार राजैं फ़कीर तहं बेशुमार।
सब खुदा के रंग व रूप डटे हैं एक से एक बिचित्र छटे।५।
कह शाह रसीले चेति करो मरशिद करि सूरति शब्द धरो।
है सब से ऊंचा यही भजन कह शाह रसीले मानो सुखुन।
सुर मुनि सब आय करैं गिल्ला सुमिरन बिन नर्क से हो तल्ला।७।