७६९ ॥ श्री महफ़िल शाह जी ॥
पद:-
संसार में घुसना बड़ा सहल पर निकसब भक्तौं है मुश्किल।
अब ही तो चेत नहीं करते वहां लिखा हिसाब जात तिल तिल।
जमदूत अन्त जब घेरैंगे देखत ही पोंकैंगे पिल पिल।
जो जवां यहां मखराज बनी वो कैसे बोलोगे हिल मिल।
है घोर अंधरिया कष्ट महा रोवो औ तड़पो करि किल किल।५।
बदबू की लहरैं आती हैं बदहोश करैं पल पल में दिल।
है अजर अमर यह सूक्षम तन पर दुख सुख का तो पास है बिल।
या से सतगुरु करि हरि सुमिरौ मिटि जावै तब सारी किल किल।८।
शेर:-
रा के कहै पाप सब नाशै म घर बैठन देवै।
चौरासी का चक्कर छूटै राम नाम जो लेवै।१।
पद:-
जब तक मगरूरी है भक्तौं। तब तक सुख दूरी है भक्तौं॥
जा के हिये सबूरी भक्तौं। ता को मिलत मजूरी भक्तौं॥
सतगुर ढिग मंजूरी भक्तौं। नाम सजीवन मूरी भक्तौं॥
यह संसार है धूरी भक्तौं। या से मन लो तूरी भक्तौं॥
ध्यान धुनी लय नूरी भक्तौं। रूप सामन् पूरी भक्तौं।१०।
सुर मुनि रहैं हजूरी भक्तौं। गर्भ बास भा धूरी भक्तौं॥
सुनिये अनहद तूरी भक्तौं। अमृत पियो अंजूरी भक्तौं॥
अब किमि बिल्ली घूरी भक्तौं। जियतै में भइ सूरी भक्तौं।१६।