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७७३ ॥ श्री दुर दुरे शाह जी ॥

पद:-

बड़ी बांकी।१।

संग दमाद जन्म को बरनै छबि वाकी।२।

सतगुरु करि जानै सो निसि बासर ताकी।३।

ध्यान प्रकाश धुनि हर दम चलती चाकी।४।

सुर मुनि मिलैं अमृत पीवैं छाकी।५।

 

नागिन जगै कमलन खिलैं फांकी।६।

कहैं दुर दुरे शाह पद होय तब बाकी।७।

अन्त त्यागि तन निज पुर राजैं जै जै हो पितु मा की।८।.