७७८ ॥ श्री राम जनी जी ॥
पद:-
नाना भांति के खेल करैं प्रिय प्रीतम बृज के धाम।
सीता सीता सखी कहैं सब सखा कहैं जै राम।
रमा रमा सब सखी कहैं सब सखा कहैं हरि नाम।
उमा उमा सब सखी कहैं सब सखा कहैं शिव नाम।
शारद शारद सखी कहैं सब सखा कहैं बिधि नाम।५।
सरस्वति सरस्वति सखी कहैं सब सखा गजानन नाम।
शची शची सब सखी कहैं सब सखा इन्द्र को नाम।
राधे राधे सखी कहैं सब सखा कहैं हे श्याम।
जनक पुरी सब सखी कहैं सब सखा अवध को नाम।
बरसाना सब सखी कहैं सब सखा श्री गोकुल नाम।१०।
जनक लली सब सखी कहैं सब सखा दशरथ सुत नाम।
प्रिया प्रिया सब सखी कहैं औ सखा प्रीतम को नाम।
सिया सिया सब सखी कहैं सब सखा रघुबर नाम।
लली लली सब सखी कहैं सब सखा लला कहैं नाम।
कहैं लाड़िली सबै सखी सब सखा लाड़िले नाम।१५।
कहैं प्राण प्रिया सखी सबै मिलि सखा प्राण पति नाम।
श्यामा श्यामा सखी कहैं सब सखा श्याम को नाम।
जनक नन्दनी सखी कहैं सब सखा रघुनन्दन नाम।
कहैं स्वामिनी सखी सबै मिलि सखा श्री स्वामी नाम।
श्री श्री सब सखी कहैं सब सखा बिष्णु को नाम।२०।
बृषभानु लली सब सखी कहैं सब सखा नन्द सुत नाम।
भूम सुता सब सखी कहैं सब सखा विश्वम्भर नाम।
जनक सुता सब सखी कहैं सब सखा रघुनन्दन नाम।
बृषभान नन्दनी सखी कहैं सब सखा यदुनन्दन नाम।
शक्ति शक्ति सब सखी कहैं सब सखा देव मुनि नाम।२५।
सखी सखी तहँ कहैं छबीली मोहन सखन को नाम।
बृज चौरासी कोस धन्य है धनिसब वासी ग्राम।
राम जनी कहैं जहँ पर प्रगटे श्री राधे घनश्याम।२८।
दोहा:-
उलट पुलट जो शब्द हों सो न सुधारे कोय।
कहै लाड़िली नहीं तो, प्रेम जायगा धोय।१।