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७८४ ॥ श्री खुशाली शाह जी ॥


पद:-

अरे मन शान्ति ह्वै बैठो मुझे गुरु पास जाने दो।

बहुत दुख सह हुआ रोगी पता हरि का लगाने दो।

करें प्रभु दीन पर दाया जरा नाड़ी दिखाने दो।

नाम की जाय मिलि बूटी चढ़े रंग मुझ को खाने दो।

धुनी एक तार जारी हो रगन रोवन सुनाने दो।५।

ध्यान परकाश लय में जाय कर सुधि बुधि भुलाने दो।

मिले संसार से फुरसत करम की गति मिटाने दो।

छटा सिय राम की हर दम मेरे सन्मुख में छाने दो।

रहे जब तक जगत में तन सदा हरि जस को गाने दो।

खुशाली शाह की बिनती कृपा हो अब न ताने दो।१०।