७८३ ॥ श्री धम धूसर दास जी ॥
पद:-
देखो प्यारे कन्हैया का ठन गन।१।
दूध दही माखन नित लूटत जीते को अति टन मन।२।
निज घर पर घर करत उपद्रव ता पर प्रेम करें सब बृज जन।३।
धम धूसर कह जे न भजैं हरि ते बसुयाम रहैं फिर अनमन।४।
पद:-
देखो प्यारे कन्हैया का ठन गन।१।
दूध दही माखन नित लूटत जीते को अति टन मन।२।
निज घर पर घर करत उपद्रव ता पर प्रेम करें सब बृज जन।३।
धम धूसर कह जे न भजैं हरि ते बसुयाम रहैं फिर अनमन।४।