७९९ ॥ श्री चुरई शाह जी ॥
पद:-
मिला नर तन यह अति दुर्लभ भजन करने का मौका है।
ध्यान धुनि नूर लय पावै वही सिय राम भौंका है।
नहीं तो अन्त कसि यमदूत दोज़क जाय छौंका है।
कहैं रो रो के धर वारी डुबी मंझधार नौका है।
नाम को साधि जो लेवै तरे सो जैसे लौका है।
न हो गाफ़िल कहैं चुरई यह तन एक दिन तो शौका है।६।