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८०० ॥ श्री झींगुर शाह जी ॥


पद:-

नाम बल्ली के बिना किस्ती ये तन चलती नहीं।१।

ध्यान धुनि परकाश लय पा कर के फिर डुबती नहीं।२।

रूप सीता राम का लखि करिके फिर हिलती नहीं।३।

कहैं झींगुर शाह फिर वह गर्भ में पड़ती नहीं।४।