८०४ ॥ श्री खुन खुन शाह जी ॥
पद:-
गरभ की कौल का कछु याद कर ले क्या कहा हरि से।
यहां आकर अरे पाजी खिलाफ़त कर रहा हरि से।
अन्त में तू बता मुझ को भाग कहँ जायगा हरि से।
ध्यान धुनि नूर लय पावे वही सुख पायगा हरि से।
रूप हरदम जिसे दरसै वही बतलायगा हरि से।
अन्त तन छोड़ कह खुन खुन वही मिलि जायगा हरि से।६।