८५९ ॥ श्री बांके लाल जी ॥
शेर:-
किसने बताया कृष्ण तुम्हैं बंशी बजाना।
क्या मधुर मधुर तान सुना सब को लुभाना।
फिर मन्द मन्द मुस्करा के अबरू फिराना।
झुकि झूमि झूमि नाचि नाचि नूपुर सुनाना।
माखन दही औ दूध लूटि सब को हराना।५।
संग ग्वाल बाल पाय आप फेरि मिलाना।
तुम से किसी क प्यारे चलता न बहाना।
जसुदा के पास जांय देन सुखी ओरहना।
सब के बचन को काटि देत ग्यान निधाना।
सुर मुनि भजैं तुम्हैं सदा हौ सब में महाना।१०।
सब आप ही क खेल है बे जाने भुलाना।
सतगुरु बिना मिलै नहीं निज घर क ठेकाना।१२।