८६५ ॥ श्री भगाना बाई जी ॥
पद:-
मिला दो श्याम से उधो अगर तुम उनके संघाती।
सिखाने योग क्या आये यहां सब हरि के रंग माती।
अन्न जल सब ने है छोड़ा नींद नेकौ नहीं आती।
बियोगा अग्नि से हम सब जलैं कोइ बात नहिं भाती।
दृगन से हर समय आँसू चलैं फटती नहीं छाती।५।
गये जब से हैं जीवन धन नहीं भेजी कोई पाती।
चलैं सब द्वारिका जी को साथ तुमरे गहै लाती।
भगाना कह न दें दर्शन तो सब तन त्यागने जातीं।८।