८७८ ॥ श्री भूरे शाह जी ॥
पद:-
मुरशिद से सीख लो सबक सुख पाना समझ कर।
धुनि ध्यान नूर लै मिलै मन माना समझ कर।
सन्मुख हों श्याम श्यामा शुकराना समझ कर।
जियतै में यहां तै करो नज़राना समझकर।
बेफिक्र तब तो होगे तर जाना समझ कर।
फिर अन्त पास ही में लें मस्ताना समझकर।६।
शेर:-
बीरान में बिया बान में हर शैं में साहेबान।
मुरशिद बिना न जानों हैं बंद चश्म कान।१।