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८८३ ॥ श्री लल्ला शाह जी ॥


पद:-

भजन घनश्याम राधे का करो सब से कहै लल्ला।

नहीं तो अन्त में जमदूत कसि बांधै करै हल्ला।

कहैं सारे दुष्ट अहमक भरे तन पाप का गल्ला।

जाय फिर नर्क में गेरैं चलैं सिर लोह के बल्ला।

धाम धन मित्र सुत नारी न जावै संग में छल्ला।५।

करो सतगुरु छुटै काई खुलैं जो बन्द हिये पल्ला।

ध्यान धुनि नूर लै जानो छुटै संसार से तल्ला।

छोड़ि तन बास हरि पुर लो जहां भोजन न जल हल्ला।८।