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८८४ ॥ श्री लूले शाह जी ॥


पद:-

पाय नर तन न हरि सुमिरै बृथा बक बक करैं टुच्चा।१।

अन्त जमदूत जब पकड़ै लगावैं खूब तन घुच्चा।२।

होंय तब प्राण अति ब्याकुल बिदा हों एक ही हुच्चा।३।

चलैं लै नर्क कह लूले बनावैगे तुम्हे कुच्चा।४।