८८९ ॥ श्री पापर शाह जी ॥
पद:-
करो सतगुरु भजो हरि को बने बैठे हो क्यों लापर।१।
अन्त जमदूत जब घेरें तड़ा तड़ देंय मुख थापर।२।
ध्यान लै रूप रोशन धुनि बिना होगे सुनो चापर।३।
ज़िन्दगी ओस मोती सम न हो गाफ़िल कहैं पापर।४।
पद:-
करो सतगुरु भजो हरि को बने बैठे हो क्यों लापर।१।
अन्त जमदूत जब घेरें तड़ा तड़ देंय मुख थापर।२।
ध्यान लै रूप रोशन धुनि बिना होगे सुनो चापर।३।
ज़िन्दगी ओस मोती सम न हो गाफ़िल कहैं पापर।४।