८९६ ॥ श्री पितम्बर जी ॥
पद:-
सुनौ श्याम मेरी ज़रा छबि दिखा दो।
मनोहर वो मुरली अधर धर बजा दो।
पगों के जो नूपुर छमा छम सुना दो।
धुनी ध्यान लै नूर प्यारे मिला दो।
छुटै भव क बन्धन जो मुरशिद बता दो।
पितम्बर कहैं मुझ को निजपुर पठा दो।६।
पद:-
सुनौ श्याम मेरी ज़रा छबि दिखा दो।
मनोहर वो मुरली अधर धर बजा दो।
पगों के जो नूपुर छमा छम सुना दो।
धुनी ध्यान लै नूर प्यारे मिला दो।
छुटै भव क बन्धन जो मुरशिद बता दो।
पितम्बर कहैं मुझ को निजपुर पठा दो।६।