३ ॥ श्री मेहंदी जान जी ॥
पद:-
मलक फ़लक सब में हरि व्यापक और दूसरा कोई नहीं।
सुर मुनि औ कहते अध्यापक हमने बीच में पोई नहीं।
नहिं याद करै हर दम जो बशर सो फिर सुख नींद में सोई नहीं।
मुरशिद से जानि के तै करिहै सो जग में आयके रोई नहीं।
धुनि ध्यान समाधि प्रकाश मिलै सो जाल में तन मन धोई नहीं।
मेंहदी कह हरदम हों दर्शन तब सूरति मूरति खोई नहीं।६।