१८. ॥ श्री टेक चन्द्र जी ॥
पद:-
मिल जाय जब गुरु ज्ञान न जावै इधर उधर।
हर दम रहै मस्तान न जावै इधर उधर।
खुल जावै नाम कि तान न जावै इधर उधर।
हो नूर लै व ध्यान न जावै इधर उधर।
हर दम लखै भगवान न जावै इधर उधर।
खुद आप हो कुर्वान न जावै इधर उधर।६।
पद:-
मिल जाय जब गुरु ज्ञान न जावै इधर उधर।
हर दम रहै मस्तान न जावै इधर उधर।
खुल जावै नाम कि तान न जावै इधर उधर।
हो नूर लै व ध्यान न जावै इधर उधर।
हर दम लखै भगवान न जावै इधर उधर।
खुद आप हो कुर्वान न जावै इधर उधर।६।