१९ ॥ श्री लक्ष्मी चन्द्र जी ॥
पद:-
जिनको नहीं गुरु ज्ञान भटकते कहाँ कहाँ।१।
छूटी न सेखी शान झगड़ते कहाँ कहाँ।२।
रोकी नहीं ज़बान गटकते कहाँ कहाँ।३।
तन छोड़ि फिरैं हैरान लटकते कहाँ कहाँ।४।
पद:-
जिनको नहीं गुरु ज्ञान भटकते कहाँ कहाँ।१।
छूटी न सेखी शान झगड़ते कहाँ कहाँ।२।
रोकी नहीं ज़बान गटकते कहाँ कहाँ।३।
तन छोड़ि फिरैं हैरान लटकते कहाँ कहाँ।४।