साईट में खोजें

४४ ॥ श्री पराना माई जी ॥


पद:-

झूला पड़ा कदम की साख में झूलैं सघन छाह प्रिय श्याम।

ब्रह्मा बिष्णु महेश आय कर झूला प्रगट्यो आम।

रहीं झुलाय उमा ब्रह्माणी लछिमी जी गुण ग्राम।

जमुना जी मधुपुरी खड़ी तहं हवि अनार कर थाम।

सब सुर मुनि ऋषि सती चहुँ दिशि ठाढ़े करैं प्रणाम।५।

फेकैं पुष्प मेघ जिमि बरसैं लै लै दोनो नाम।

जै जै कार से ब्रज सब गूँज्यो अर्ध निशा का काम।

पुर भर के नर नारी जागे चहुँ दिशि ढूढ़ैं ठाम।

पता न पावै ब्याकुल तन मन उठैं गिरैं ब्रज धाम।

मुरली कूकि श्याम तहं दीन्ही ब्याकुलता सब थाम।१०।

निद्रा आय घेरि तहँ लीन्हेव सबै कीन बिश्राम।

झाँकी युगुल की शोभा सुर मुनि ऋषि शक्तिन लह्यो आम।

भोर होत सब अन्तर ह्वै गे पहुँचे निज निज धाम।

यह लीला हम नैनन देखा सतगुरु करि पथ थाम।

कहैं पराना पार होय सो भजन करै निष्काम।

मानुष का तन सब से उत्तम सुमिरन बिन बेकाम।१६।