४५ ॥ श्री सट पट दास जी ॥
पद:-
करो सतगुरु भजो हरि को बसे घट घट बसे घट घट।
ध्यान धुनि नूर लै पावो मिटै खट पट मिटै खट पट।
रहै सन्मुख लखौ हर दम सुघर छबि नट सुघर छबि नट।
अन्त तन छोड़ि हरि पुर लो कहैं सट पट कहैं सट पट।४।
पद:-
करो सतगुरु भजो हरि को बसे घट घट बसे घट घट।
ध्यान धुनि नूर लै पावो मिटै खट पट मिटै खट पट।
रहै सन्मुख लखौ हर दम सुघर छबि नट सुघर छबि नट।
अन्त तन छोड़ि हरि पुर लो कहैं सट पट कहैं सट पट।४।