४९ ॥ श्री रामगोपाल जी ॥
चौपाई:-
मातु पिता की सेवा कीन्हा। अन्त समै हरि पुर हम लीन्हा॥
राम गोपाल कहैं का भाई। वहां क सुख कोइ वरनि न पाई।१।
चौपाई:-
मातु पिता की सेवा कीन्हा। अन्त समै हरि पुर हम लीन्हा॥
राम गोपाल कहैं का भाई। वहां क सुख कोइ वरनि न पाई।१।