६७ ॥ श्री ज्वाला दीन जी ॥
दोहा:-
ज्वाला जी मोहि दर्श दें, सिंह सवारी जान।
दिब्य सिंगार अनूप है, को करि सकै बखान॥
ज्वाला दीन है नाम मम, छत्री बंस औतार।
निर्भय औ निर्बैर हूँ, सत्य बचन उर धार॥
दोहा:-
ज्वाला जी मोहि दर्श दें, सिंह सवारी जान।
दिब्य सिंगार अनूप है, को करि सकै बखान॥
ज्वाला दीन है नाम मम, छत्री बंस औतार।
निर्भय औ निर्बैर हूँ, सत्य बचन उर धार॥