८३ ॥ श्री ढोला जी ॥
पद:-
श्रृङ्गी नाद सुना दो शिव शंकर भोला।
डमरू फिरि डिमका दो सूत्रन जो खोला।
कसि तिरशूल चला दो असुरन के टोला।
हरि नाम क जाम पिला दो तब हो सुख चोला॥
श्री सतगुरु नाथ मिला दो दागैं हम गोला।
लै ध्यान प्रकाश लखा दो होऊं अनमोला॥
सिय राम की झाँकी करा दो कहता है ढोला।
जियतै सब आस पुरादो छूटै तब चोला।५।