८४ ॥ श्री छङ्गू मल जी ॥
पद:-
निरखि छबि लीजै राधे संग सरकार।
चर औ अचर में जो परिपूरन सब के प्राण अधार।
मुरली दहिने कर में राजत साजे अजब सिंगार।
मंद हसनि खुम चितवनि प्यारी नूपुर पग झनकार।
सुर मुनि हर दम जिनको ध्यावत सब लोकन जैकार।
सतगुरु करि सुमिरौ निसि बासर तब करिहैं नित प्यार।६।