८७ ॥ श्री श्याम कली सखी जी ॥
पद:-
शिवा कुंज करत सैन श्याम राधे नित्य रैन।
सतगुरु के मानि बैन कीन ध्यान पहुँचि गैन।
निरखत भे सुफ़ल नैन शोभा के जौन ऐन।
लाजत लखि अमित मैन।
ऐसा हरि नाम पैन।५।
या के सम कोई हैन।
सुर मुनि बहु लैन लैन।
बैठत नित दरश दैन।
तन तजि हरि धाम छैन।
हर दम तहँ रहत चैन।१०।