१०४ ॥ श्री रूप रानी माई जी ॥
पद:-
पिता शम्भु उमा मातु जग बिख्यात दानी।
तन मन से प्रेम लाय ध्यावै सो दर्श पाय
सुर मुनि सब रहे गाय लेवै मन मानी।
आवै जो कोइ द्वार करते नाहीं बिचार
ऐसे सुंदर उदार बोलत मृदुबानी।
ऐसे स्वामी को पाय बिगरी लीजै बनाय
बिरथा आयू सेराय आखिर हैरानी।४।