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१०५ ॥ श्री गुरदेई माई जी ॥


पद:-

ताकौ ताकौ खड़े सिय राम बाय।

सतगुरु करो दर्श हों हरदम मंद मंद मुसक्यात बाय।

बांये कर में धनुष बिराजै दहिने शर चमकात बाय।

छबि श्रृंगार छटा है अनुपम बरणत शेश चुपात बाय।४।

अगणित काम औ रति लखि लाजै नेकौ नहिं ठहरात बाय।

सुमिरन गान ध्यान करें सुर मुनि तन मन माहिं सिहात बाय।

सांचा ह्वै कर प्रेम करै जो सो हरि धाम को जात बाय।

गुरुदेई कहैं नाम को साधो दुर्लभ मानुष गात बाय।८।