साईट में खोजें

१०६ ॥ श्री रमदेई माई जी ॥


पद:-

सतगुरु करि जो नाम को पयली।

हर दम राम सिया की झाँकी सन्मुख में छबि छयली।

कोटिन जन्म की होय कमाई सो यहि मारग अयली।

सुर मुनि सब नित दर्शन देवैं जन्म सुफल तेहिं भयली।४।

मन मतंग काबू जब ह्वै गो भागी असुरन सैली।

रमदेई कहैं अन्त छोड़ि तन चट हरि पुर को गयली।

आंखी कान बन्द हैं काहे मन की मति है मैली।

सबै वस्तु पासै में तुम्हरे लखौ खुलै जब थैली।८।