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१६५ ॥ श्री राम रज दास जी ॥


चौपाई:-

हरि हित नित भंडार बनायन। अन्त समय हम हरिपुर पायन॥

नाम राम रज दास हमारा। द्विज कुल ग्राम क नाम स्वनहरा।२।