१६४ ॥ श्री जगेश्वर दास जी ॥
चौपाई:-
हरि हित तुलसी सेवा कीन्हा। अन्त समय चलि हरि पुर लीन्हा॥
नाम जगेश्वर दास हमारा। कुर्म बंश में भा औतारा।२।
चौपाई:-
हरि हित तुलसी सेवा कीन्हा। अन्त समय चलि हरि पुर लीन्हा॥
नाम जगेश्वर दास हमारा। कुर्म बंश में भा औतारा।२।