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१६९ ॥ श्री राम सहारे दास जी ॥


पद:-

सतगुरु करि गगन में ध्यान धरो।

सूरति शब्द क मारग जो है ता को ख्याल करो।

धुनि खुलि जाय होय सब करतल जियतै फेरि तरो।

दीन जानि करि कै उपदेशौ जीवन दुःख हरो।

कसनी कितनो परै सहौ सब तन मन से न टरो।

शूरबीर रणधीर होहु तब जब यह समर लरो।६।