१७९ ॥ श्री मुत्तन शाह जी ॥
पद:-
नित नर तन कि लीजै बहार भजो हरि पास मा।
सतगुरु करिकै जब यार गहौ निज हाथ मा।
धुनि ध्यान औ लय उजियार देव मुनि साथ मा।
प्रिय श्याम क अजब सिंगार लखौ मुसक्यात मा।
अनहद की क्या गुमकार सुनौ दिन रात मा।
तन तजि छोड़ौ जग जाल चलौ सुख गात मा।६।