१७८ ॥ श्री पछन शाह जी ॥
पद:-
सरयू बिरजा कि बहै घट धार चलौ अस्नान करौ।
सतगुरु करि कै चट यार गैल पर पैर धरौ।
धुनि ध्यान औ लय उजियार होय मन हर्ष भरौ।
सन्मुख हर दम दीदार राम सीता क करौ।
सुर मुनि नित करिहैं प्यार सुनौ अनहद न टरौ।
तन तजि साकेत सिधार जाव नहिं गर्भ परौ।६।