२१६ ॥ श्री मैले शाह जी ॥
पद:-
करै मुरशिद भजन जानै वही हर वक्त मुसक्यावै।
ध्यान परकाश लय होवै नाम धुनि तार झन्नावै।
सुनै अनहद मिलैं सुर मुनि प्रेम करि सब को उर लावै।
सदा सिय राम की झाँकी सामने में छटा छावै।
जियति में तै करैं जे जन वही तन तजि वतन पावैं।
कहैं मैले बिना जाने जगत चक्कर में घुमरावैं।६।