२३३ ॥ श्री लाला बाल किशोर जी ॥
पद:-
दीनता औ शान्ति गहि कर दमन इन्द्रिन को करौ।
दाया धरम औ सत्यता में पग पछारी मत धरौ।
भजन बिधि सतगुरु से जानो नाम बिन रसना ररौ।
ध्यान लय परकाश होवै जियति भव सागर तरौ॥
सामने सिय राम हर दम रहैं मुद मंगल भरो।
अन्त तन तजि लेहु हरि पुर फेरि गर्भ में नहिं परौ।६।