२३४ ॥ श्री लाला बाल किशुन जी ॥ पद:- श्याम शौहर श्यामा जौजे रहैं सन्मुख तभी सुख है। ध्यान धुनि नूर लय पावै वही मानो कि गुरमुख है।१।