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२४५ ॥ श्री बालक राम जी ॥


पद:-

मन तुम नाम सुधा रस ले लो।

सतगुरु करो भेद सब जानो तन मन प्रेम से खेलो।

ध्यान प्रकाश समाधी होवै सुधि बुधि सब तहँ मेलो।

अनहद सुनो देव मुनि दर्शैं नित दरबार में पेलो।

श्यामा श्याम सामने राजैं शुभ औ अशुभ को बेलो।

बालक राम कहैं तन तजि कै फिर भव दुख नहीं झेलो।६।