२६१ ॥ श्री सदायारखां जीवन मुकाम शाहाद ॥
पद:-
राम सीता श्याम श्यामा सामने में छा रहे।
सतगुरु करौ हर दम लखौ हम सच तुम्हैं बतला रहे।
धुनि ध्यान लय परकाश हो जहँ अमित भानु लजा रहे।
अमृत पिओ अनहद सुनो सुर मुनि मिलन हित आ रहे।
साज निज निज कर लिये हरि नाम का यश गा रहे।५।
कण्ठ गदगद तन सुलक से नयन नीर बहा रहे।
तन मन कि करिकै एकता जे जियत में सुख पा रहे।
पन्त तन जनि चढ़िसिंहासन पास पग के ना रहे।८।