२९१ ॥ श्री राम कृष्ण नारायण जी के कुण्डल॥
(एक ही बाणी)
पद:-
राम कृष्ण जौ बिष्णु के कानन के कुण्डल हम भाई जी।
भूषन बसन मुकुट की शोभा हम बिन ठीक न आई जी
हेम क तन औ मणी जड़ित क्या लहर लहर लहराई जी।
एक निगाह करै जो कोई नैन जांय चौंधाई जी।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानै सो देखै हर्षाई जी।५।
ध्यान प्रकाश समाधी होवै नाम कि धुनी सुनाई जी।
सन्मुख तीनों स्वामी राजैं घटैं बढ़ैं नहि राई जी।
अमृत पियैं देव मुनि दर्शैं अनहद बिमल सुनाई जी।
नागिनि जगै चक्र सब बधैं कमलन महक लड़ाई जी।
अन्त त्यागि तन निज पुर बैठी गर्भ कि मिटी झलाई जी।१०।