३१३ ॥ श्री बचावन शाही जी ॥ (२)
सतगुरु करौ मारग गहौ जियति में हो निसकामजी।१।
परकाश ध्यान समाधि धुनि सन्मुख हों सीता राम जी।२।
सुर मुनि मिलैं अमृत छकौ अनहद सुनौ बसु याम जी।३।
तन त्यागि निज पुर को चलौ पावो अचल बिश्राम जी।४।
सतगुरु करौ मारग गहौ जियति में हो निसकामजी।१।
परकाश ध्यान समाधि धुनि सन्मुख हों सीता राम जी।२।
सुर मुनि मिलैं अमृत छकौ अनहद सुनौ बसु याम जी।३।
तन त्यागि निज पुर को चलौ पावो अचल बिश्राम जी।४।