३१९ ॥ श्री शान शाह जी ॥
सतगुरु करि भजु हर हर हर हर।
छूटै भव का डर डर डर डर।
दु:ख पड़ै मति टर टर टर टर।
तन मन प्रेम से जर जर जर जर।
सुर मुनि बोलैं फर फर फर फर।५।
सब से रहना खर खर खर खऱ।
देहैं भोजन तर तर तर तर।
पाना मत चित भर भर भर भर।
तन तजि लो निज घर घर घर घर।
जहँ न सकत कोइ धर घर घर घर।१०।
सुनिये नारी नर नर नर नर।
त्यागो करना बर बर बर बर।
आलस नींद में पर पर पर पर।
किमि कारज हो सर सर सर सर।
छोड़ि के अपना दर दर दर दर।
डोलत काँपत गर गर गर गर।१६।