३२० ॥ श्री मान शाह जी ॥
पद:-
राम सिया हर दम रहैं सन्मुख सुमिरन करि लखि लेहु खुलासा।
सतगुरु करि जप भेदि जानि लो देखहु नाना भांति तमाशा।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय जहँ पर पहुँचि सकत नहिं आसा।
सुर मुनि मिलै पिओ घट अमृत अनहद सुनो बाजत क्या खासा।
श्री कमला जी लाय पिआवै प्रति दिन तुमको दुध बतासा।
अन्त त्यागि तन राम धाम लो जहां अमित रवि सम परकासा।६।