३२३ ॥ श्री भली जान जी ॥
जारी........
वेद चारों अस्तुती करते बने भिखियार थे।
चरित यह जानै वही जो बैठ तन मन मार थे।
कार्य्य निज निज करन में सब गुप्त चर सरदार थे।
शेष शारद क्या भनैं वे चरित अपरम्पार थे।३६।
जारी........
वेद चारों अस्तुती करते बने भिखियार थे।
चरित यह जानै वही जो बैठ तन मन मार थे।
कार्य्य निज निज करन में सब गुप्त चर सरदार थे।
शेष शारद क्या भनैं वे चरित अपरम्पार थे।३६।