३७९ ॥ श्री गाज़ी मियां जी ॥ (११)
पद:-
चामुण्डी भैरवी कपाली पंच मकारी हैं।
यह सब सिद्धी बड़ी निषद्धी अति हत्यारी हैं।
कर्म अनुसार मिलत फल या को नर्क मँझारी हैं।
हर दम कष्ट एक पल कल नहिं ऐसी ख्वारी हैं।
सतगुरु करि सुमिरन बिधि जानों ते सरकारी हैं।५।
ध्यान धुनी परकाश दशा लय सुधि बुधि ढारी हैं।
सिया राम की झाँकी हर दम रहै बिहारी हैं।
सुर मुनि मिलैं करैं हंसि जय जय दै कर तारी हैं।
भाग्य सराहैं मातु पिता की कह बलिहारी हैं।
अमृत पियै सुनै घट अनहद क्या गुमकारी हैं।१०।
नागिन चक्र कमल सब जागैं खुशबू प्यारी हैं।
गाज़ी कहैं जियति बिधि लेख पै मेख को मारी हैं।