३८१ ॥ श्री मुन्दर माई जी ॥
पद:-
प्रभु अब दीजै भीख हमारी।
आप तो हैं हरि अधम उधारन मैं पापिन हत्यारी।
आप तो हैं हरि दीनन पालक मैं गरीब अति भारी।
आप तो हैं हरि सब के स्वामी मो को काहे बिसारी।
आप तो हैं दाया के सागर देहु छींटि एक डारी।५।
मुन्दर बिनय करै कर जोड़े लीजै खबरि हमारी।