४२२ ॥ श्री दीन शाह जी ॥
पद:-
भजि लो राम श्याम नारायन।१।
तीनो देव एक हैं जानो तब हो जीव परायन।२।
सतगुरु बिन यह पद है दुर्लभ सुर मुनि बांट्यो बायन।३।
या ते मानो बिनय दीन की सब के हित पद गायन।४।
शेर:-
बहुत राह हैं हरि मिलने की।
बिना चाव सब हैं सपने की॥