४४९ ॥ श्री आशा शाह जी ॥ (२)
पद:-
श्री स्वामी रामानन्द क दहिनावर्त संख क्या जंतर है।
जहाँ उठाय के फूँका प्रभु ने खुलि गई चहुँ दिशि संतर है।
ध्यान प्रकाश समाधि नाम धुनि रूप औ तंतर मंतर है।
मुद मंगल भा दसौं दिसन में होत न कबहूँ अंतर है।
आशा शाह कहैं जिनका जस जाहिर देस देसान्तर है।
द्वादश महाभागवत चेला जिनके संग भये स्वतंतर हैं।६।
शेर:-
संग छिमा नारि संतोष पुत्र सुख शान्ति मिली मन भा काबू।
कहैं आशा शाह श्री गुरु किरपा दोनों दिसि के भे बाबू॥